Secrament- संस्कार
संस्कार
शादी की सुहागसेज पर बैठी एक स्त्री का पति जब भोजनका थाल लेकर अंदर आया तो पूरा कमरा उस स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से भर गया रोमांचित उस स्त्री ने अपने पति से निवेदन किया कि मांजी को भी यहीं बुला लेते तो हम तीनों साथ बैठकर भोजन करते। पति ने कहा छोड़ो उन्हें वो खाकर सो गई होंगी आओ हम साथ में भोजन करते है प्यार से, उस स्त्री ने पुनः अपने पति से कहा कि नहीं मैंने उन्हें खाते हुए नहीं देखा है, तो पति ने जवाब दिया कि क्यों तुम जिद कर रही हो शादी के कार्यों से थक गयी होंगी इसलिए सो गई होंगी, नींद टूटेगी तो खुद भोजन कर लेंगी। तुम आओ हम प्यार से खाना खाते हैं। उस स्त्री ने तुरंत Divorce लेने का फैसला कर लिया
और Divorce
लेकर उसने दूसरी शादी कर ली और इधर उसके पहले पति ने भी दूसरी शादी कर ली। दोनों अलग- अलग सुखी घर गृहस्ती बसा कर खुशी खुशी
रहने लगे।
इधर उस स्त्री के दो बच्चे हुए जो बहुत ही सुशील और आज्ञाकारी थे। जब वह स्त्री ६० वर्ष की हुई तो वह बेटों को बोली में चारो धाम की यात्रा करना चाहती हूँ ताकि तुम्हारे सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना कर सकूँ। बेटे तुरंत अपनी माँ को लेकर चारों धाम की यात्रा पर निकल गये। एक जगह तीनों माँ बेटे भोजन के लिए रुके और बेटे भोजन परोस कर मां से खाने
की विनती करने लगे। उसी समय उस स्त्री की नजर सामने एक फटेहाल, भूखे और गंदे से एक वृद्ध पुरुष पर पड़ी जो इस स्त्री के भोजन और बेटों की तरफ बहुत ही कातर नजर से देख रहा था। उस स्त्री को उस पर दया आ गईं और बेटों को बोली जाओ पहले उस वृद्ध को नहलाओ और उसे वस्त्र दो फिर हम सब मिलकर भोजन करेंगे। बेटे जब उस वृद्ध को नहलाकर कपड़े पहनाकर उसे उस स्त्री के सामने लाये तो वह स्त्री
आश्चर्यचकित रह गयी वह वृद्ध वही था जिससे उसने शादी की सुहागरात को ही divorce ले लिया था। उसने उससे पूछा कि क्या हो गया जो तुम्हारी हालत इतनी दयनीय हो गई तो उस वृद्ध ने नजर झुका के कहा कि
सब कुछ होते ही मेरे बच्चे मुझे भोजन नहीं देते थे, मेरा तिरस्कार करते थे, मुझे घर से बाहर निकाल दिया। उस स्त्री ने उस वृद्ध से कहा कि इस बात का अंदाजा तो मुझे
तुम्हारे साथ सुहागरात को ही लग गया था जब तुमने पहले अपनी बूढ़ी माँ को भोजन कराने के बजाय उस स्वादिष्ट भोजन की थाल लेकर मेरेकमरे में आ गए और मेरे बार-बार कहने के बावजूद भी आप ने अपनी माँ का तिरस्कार किया। उसी का फल आज आप भोग रहे हैं।
जैसा व्यहवार हम अपने
बुजुर्गों के साथ करेंगे उसी
देखा-देख कर हमारे बच्चों
में भी यह गुण आता है कि
शायद यही परंपरा होती है
सदैव माँ बाप की सेवा ही
हमारा दायित्व बनता है
जिस घर में माँ बाप हँसते है
वहीं प्रभु बसते है!
Secrament
When the husband of a woman sitting on the wedding table came inside with a plate of food, the whole room was filled with the aroma of that delicious food. Thrilled, the woman requested her husband that if he had called Manji here too, all three of us would have eaten together. The husband said leave her she must have fallen asleep after eating come let's eat together with love the woman again said to her husband no I haven't seen her eating then the husband replied why are you insisting She must have been tired of the marriage work, so she must have slept, if sleep breaks, she will have food herself. You come, we eat food with love. That woman immediately decided to take divorce
and Divorce
She got married for the second time and here her first husband also got married for the second time. Both are happily settled in separate happy homes
Started living
Here that woman had two children who were very gentle and obedient. When that woman turned 60, she told her sons that she wanted to travel to all four dhams so that she could pray for your happy life. The sons immediately took their mother on a pilgrimage to the four dhams. At one place all the three mother and son stopped for food and after serving the food the sons asked the mother to eat.
Started requesting. At the same time, the woman's eyes fell on a tattered, hungry and dirty old man in front of her, who was looking at the food and sons of this woman with a very keen eye. That woman felt pity on him and said to the sons, first bathe that old man and give him clothes, then we will all eat together. When the son brought the old man in front of the woman after bathing him and dressing him, the woman
Surprised, that old man was the same from whom she had taken divorce on the wedding night itself. He asked him what happened that your condition became so pathetic, then the old man bowed his eyes and said that
As soon as everything happened, my children did not give me food, despised me, threw me out of the house. That woman said to that old man that I have an idea of this.
It was only on the honeymoon with you when instead of first feeding your old mother, you came to my room with a plate of that delicious food and despite my saying it again and again, you despised your mother. You are reaping the fruits of that today.
how we treat ourselves
do the same with the elderly
watching our children
I also have this quality that
maybe that's the tradition
Always serve parents
we have an obligation
the house where parents laugh
That's where the Lord resides! ,
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