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Showing posts from August 26, 2021

Be responsible for yourself- स्वयं जिम्मेदार बने

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यदि हम सब सिर्फ अपने अपने प्रति जिम्मेदार बन जाए और दूसरों के सुधार के अवसर तलाशने बंद कर दें तो आधे से ज्यादा मनमुटाव तो अपने आप ही खत्म हो जाएगा जब हम अपनी भावनाओं को लेकर आश्वस्त नहीं होते तो हमारे अंदर झिझक ज्ञान और और संतुष्टि जैसा भाव घर करने लगता है ऐसे में प्रेम दया और मैत्री जैसे भाव दिखने में न केवल हम असहज महसूस करते हैं बल्कि सामने वाला अगर आपकी भावनाएं हमारे लिए व्यक्त करें तो भी हम उसे स्वीकार नहीं कर पाते और इससे बचने का रास्ता अकेलेपन में ढूंढने लगते हैं ऐसा करने के बजाय अब पूरी जिम्मेदारी और विश्वास के साथ हम अपने सभी भाव को खुलकर स्वीकार ना और दूसरों के प्रति जाहिर करना सीख जाए तो तनाव चिंता दुख और भय जैसे भाव दुख हुआ खुद खत्म होने लगेंगे ENGLISH If we all become responsible only towards ourselves and stop looking for opportunities for improvement of others, then more than half of the conflict will end on its own. Feeling starts to take home, in such a situation, not only do we feel uncomfortable in seeing expressions like love, kindness and friendship, but even if th

Use of good words works as medicine- अच्छे शब्दों का उपयोग दवाई का काम करती है

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किसी से लड़ाई झगड़ा या बहस होने पर हमारी भाषा विचार बोल चाल और हाव-भाव का तरीका सब कुछ काफी बदल जाता जाता है उस वक्त हम सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं और हर किसी कीमत पर स्वयं को ही सही साबित करने की कोशिश में लगे रहते हैं ऐसे में जाने अनजाने में बहुत से ऐसे शब्द भी मुंह से निकल जाते हैं जो सामने वाले को तीर की तरह छलनी कर देता है सब यहीं से रिश्ते और खराब हुई होने शुरू हो जाते हैं किसी इसकी बजाय अगर स्वयं को सामने वाले के स्थान पर रख के सोचा जाए तो तब आपको एहसास होगा कि आप जिस कठोर भाषा का इस्तेमाल सामने वाले के लिए कर रहे हैं वह आप उसके मुंह से आपके लिए सुने ही नहीं पाएंगे जो सब आप अपने लिए बर्दाश्त नहीं कर सकते भला उन्हें दूसरों को क्यों बोला जाए इसकी इसकी बजाय अगर बहस के मूल कारण के बारे में जानने की कोशिश की जाए तो बहुत से अनचाहे शब्दों को बोलने में बचा जा सकता है ENGLISH When there is a fight or argument with someone, our language, the way of thinking, speaking, and gesture, everything changes a lot, at that time we think only and only about ourselves and try to prove our

Mahatma's Well-महात्मा का कुआ

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एक गांव मे धर्मदास नाम का कंजूस रहता था बातें बड़ी ही अच्छी करता था पर था वहां कंजूस हुआ किसी को पानी तक के लिए नहीं पूछता था साधु-संतों और भिखारियों को देखकर तो उसके प्राण ही सूख जाते थे कि कहीं कोई कुछ मांगना बैठे एक दिन एक महात्मा आया और धर्मदास से सिर्फ एक रोटी मांगे धर्मदास ने महात्मा को कुछ भी देने से मना कर दिया महात्मा ने खड़े रहे तब तक वह उन्हें आधी रोटी देने लगा आधी रोटी देखकर महात्मा ने कहा कि अब मैं तो आधी रोटी नहीं पेट भर खाना खा कर जाऊंगा इस पर धर्मदास  ने कहा कि अब वह कुछ नहीं देगा महात्मा रात भर चुपचाप खड़े रहे सुबह जब धर्मदास ने महात्मा को देखा तो सोचा कि अगर मैं इसे भरपेट खाना नहीं खिलाया और यह भूखे ही मर गया तो मेरी बदनामी होगी धर्मदास ने कहा कि बाबा तुम भी क्या याद करोगे तो पेट भर खाना खा लो पर अब महात्मा ने कहा मुझे खाना नहीं खाना मुझे तो एक कुआं खुदवा दो लो अब वह बीच में कुंआ धर्मदास ने महात्मा से आ गया धर्मदास ने महात से कहा धर्मदास ने कुआं खुदवाने से साफ मना कर दिया महात्मा वहीं खड़े रहे अगले दिन सुबह भी जब को भूखा प्यासा वहीं खड़ा पाया तो सोचा कि इस महात्मा के