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When you expect something, you don't get it, you feel sad- जब आप किसी चीज की उम्मीद करते हैं, तो वह आपको नहीं मिलती, आपको दुख होता है।

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    When you expect something, you don't get it, you feel sad. information about When we hope for something and it doesn't come to fruition, it can be absolutely heart-wrenching. The anticipation, the excitement, and the possibility all come crashing down in one fell swoop. It's a crushing feeling that can leave you feeling lost, disappointed, and maybe even a little angry. We all have hopes and dreams, things that we long for and yearn to achieve. Sometimes those hopes are big, like landing our dream job or finding our soulmate. Other times, they are small, like wishing the weather to be nice for a day out. But no matter how big or small our hopes are, when they don't come true, it can feel like the world is against us. There's a certain vulnerability in hoping for something. It means putting ourselves out there and opening ourselves up to the possibility of disappointment. But without hope, we cannot grow or move forward. So we take the risk, and we hope. And when

Relationship should be valued

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  तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक| साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ||  अर्थ:🙏  "तुलसीदास जी कहते हैं, किसी विपत्ति के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे:  आपका ज्ञान या शिक्षा, आपकी विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास !! Tulsi is the companion of adversity, Vidya Vinay Vivek. Courage Sukriti Sustyavrat, Ram Bharose Ek || Meaning: "Tulsidas ji says, these seven qualities will save you in times of calamity: Your knowledge or education, your humility, your wisdom, your inner courage, your good deeds, your habit of speaking the truth and your faith in God!! प्राच्यां नरो लभेदायुर्याम्यां प्रेतत्वमश्नुते। वारुणे च भवेद्रोगी आयुर्वित्तं तथोत्तरे।। अर्थात्:-  पूर्व की ओर मुँह करके भोजन करने से दीर्घायुष्य , दक्षिण मुँह खाने से प्रेतयोनि , पश्चिम मुँह रोगशोक तथा उत्तर मुँह प्राशन करने से आयु एवं लक्ष्मी की वृद्धि होती है। Prachyam naro lagharayuryamyan pretvamashnute. Varune Ch Bhavedrogi Ayurvittan Tathottare. Mean

Secrament- संस्कार

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    संस्कार शादी की सुहागसेज पर बैठी एक स्त्री का पति जब भोजनका थाल लेकर अंदर आया तो पूरा कमरा उस स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से भर गया रोमांचित उस स्त्री ने अपने पति से निवेदन किया कि मांजी को भी यहीं बुला लेते तो हम तीनों साथ बैठकर भोजन करते। पति ने कहा छोड़ो उन्हें वो खाकर सो गई होंगी आओ हम साथ में भोजन करते है प्यार से, उस स्त्री ने पुनः अपने पति से कहा कि नहीं मैंने उन्हें खाते हुए नहीं देखा है, तो पति ने जवाब दिया कि क्यों तुम जिद कर रही हो शादी के कार्यों से थक गयी होंगी इसलिए सो गई होंगी, नींद टूटेगी तो खुद भोजन कर लेंगी। तुम आओ हम प्यार से खाना खाते हैं। उस स्त्री ने तुरंत Divorce लेने का फैसला कर लिया   और Divorce  लेकर उसने दूसरी शादी कर ली और इधर उसके पहले पति ने भी दूसरी शादी कर ली। दोनों अलग- अलग सुखी घर गृहस्ती बसा कर खुशी खुशी रहने लगे। इधर उस स्त्री के दो बच्चे हुए जो बहुत ही सुशील और आज्ञाकारी थे। जब वह स्त्री ६० वर्ष की हुई तो वह बेटों को बोली में चारो धाम की यात्रा करना चाहती हूँ ताकि तुम्हारे सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना कर सकूँ। बेटे तुरंत अपनी माँ को लेकर चारों धाम की

Miracle potion Makoy (Kakamachi) चमत्कारी औषधि मकोय(काकमाची)

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   चमत्कारी औषधि मकोय(काकमाची) इलाज से बेहतर बचाव प्रकृति से जुड़े स्वदेशी बने बिना सहकार अब नहीं उद्धार  💚आपके शरीर के दो ही अंग हैं जिन पर खानपान व जीवन शैली का गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिनमें पहला है यकृत और दूसरा हृदय जिसे दिल भी कहते हैं। 💚इन दोनों अंगों में रोग हो जाने पर विशेष बात यह है कि लाखों लग जाए इसकी संभावना भी कम नही सो अपनी जीवन चर्या ऐसी बनाओ कि रोग पास ही न फटकें 💙मकोय के अलग-2 भाषा में नाम :- संस्कृत -काकमाची अन्य-चरगोटी,चरबोटी,चिरपोटी,कबैया या गुरुमकाई गुजराती - पीलूडी मराठी - लघु कावड़ी मुम्बई - घाटी,कामुनी या मको  पंजाबी - कचमच,मको व कॉसफ  बंगाल-काकमाची,मको,तलीदन या गुड़काभाई तमिल - मानतक्कली , तेलगू -वाजचेट्टू,कंमाची,या काकमाची, उर्दू -मकोय, अग्रेजी -कामन नाइट शेड 💛पहचान:- यह मिर्च के पौधे जैसा पोधा होता है जिसकी अधिकतम ऊँचाई 3 फिट के लगभग हो सकती है।इस पर फूल भी लगभग मिर्च जैसा ही आता है और मिर्च जैसी डालियाँ भी होती हैं इसके फल छोटे छोटे तथा समूह में होते है ये गोल गोल होते हैं पकने पर लाल हो जाते हैं तथा बाद में काले हो जाते हैं।इसके पुष्प मिर्च जैसे तथा छोट

After death five things of man go with man - मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं।

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  मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं। 1. कामना-यदि मृत्य के समय हमारे मन मे किसी वस्तु विशेष के प्रति कोई आसक्ति शेष रह जाती है,कोई इक्षा अधूरी रह जाती है,कोई अपूर्ण कामना रह जाती है तो मरणोपरांत भी वही कामना उस जीवात्मा के साथ जाती है।  2. वासना- वासना कामना की ही साथी है। वासना का अर्थ केवल शारिरिक भोग से नही अपितु इस संसार मे भोगे हुए हर उस सुख से है जो उस जीवात्मा को आनन्दित करता है। फिर वो घर हो ,पैसा हो ,गाड़ी हो, रूतबा हो,या शौर्य। मृत्यु के बाद भी ये अधूरी वासनाएं मनुष्य के साथ ही जाती हैं और मोक्ष प्राप्ति में बाधक होती है।  3.कर्म- मृत्यु के बाद हमारे द्वारा किये गए कर्म चाहे वो सुकर्म हो अथवा कुकर्म हमारे साथ ही जाता है। मरणोपरांत जीवात्मा अपने  द्वारा कि ये गए कर्मो की पूँजी भी साथ ले जाता है। जिस के हिसाब किताब द्वारा उस जीवात्मा का यानी हमारा अगला जन्म निर्धारित किया जाता है।  4. कर्ज़- यदि मनुष्य ने आपने जीवन मे कभी भी किसी प्रकार का ऋण लिया हो तो उस ऋण को यथासम्भव उतार देना चाहिए ताकि मरणोपरांत इस लोक से उस ऋण को उसलोक में अपने साथ न ले जान

रामायण” क्या है What is "Ramayana

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 “रामायण” क्या है??  अगर कभी पढ़ो और समझो तो आंसुओ पे काबू रखना....... रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ.. एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।  नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ? मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं । माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया | श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ? क्या नींद नहीं आ रही ? शत्रुघ्न कहाँ है ? श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी,  गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए । उफ !  कौशल्या जी का ह्रदय काँप कर झटपटा गया । तुरंत आवाज लगाई, सेवक दौड़े आए ।  आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी,  माँ चली । आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ? अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेट

Essay on valor of indian army

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                                                 Essay on valor of indian army   The Indian Army is one of the most prestigious and highly regarded armed forces in the world. It is known for its valor, courage, and dedication towards serving the nation. The Indian Army has a rich history of bravery, sacrifice, and selflessness. Over the years, the Indian Army has been involved in numerous operations, both within the country and abroad, where it has demonstrated its valor and commitment to the country's cause. The Indian Army is a highly trained and professional force that is well equipped to handle any situation that may arise. The army has a well-established system of training that ensures that every soldier is prepared to face any challenge that comes their way. The Indian Army is also equipped with some of the most advanced weaponry and equipment in the world, which enables it to respond quickly and efficiently to any situation. One of the most notable aspects of the Indian Army